उदरकल्प (पाउडर)
प्रोडक्ट्स के बारे में
आधुनिक युग में खाद्य पदार्थो के प्रदूषित एवं इनमें मिलावट होने के कारण विभिन्न प्रकार के रोग, जैसे पेट का बढ़ जाना, खट्टी डकार, बदहजमी, सीने में जलन (अम्लपित्त) एवं पेट में गैस, कोलाईटिस, ऑव, कब्ज आदि व्यापक रूप में उत्पन्न हो रहे हैं| पेट के रोगों के कारण जी मिचलाना, मुँह में कड़वापन, उल्टी, सीने में भारीपन, दुर्गन्धयुक्त गैस, हाथ पैरों में जलन, भोजन का न पचना, आँतों की सूजन, खांसी, श्वाश रोग, ह्रदय विकार, रक्तचाप, मोटापा आदि विकार भी उत्त्पन हो रहे हैं |
उदर कल्प का नियमित प्रयोग, बढ़े हुए पेट को कम एवं संतुलित कर पाचन क्रिया को ठीक करता है और उपरोक्त बीमारियों को दूर करने में सहायक है एवं गॉल ब्लेडर ( पित्त की थैली ) की पथरी को पूर्ण रूप से समाप्त करने में आश्चर्यजनक परिणाम सामने आए हैं |
सेवन विधि:
अच्छे परिणाम के लिए नियमित एक – एक चम्मच पूरा भरकर (लगभग 5 ग्राम )
सुबह – दोपहर – शाम आधा गिलास ताजे या गुनगुने पानी से सुबह खाली पेट,
दोपहर को भोजन के 1 घण्टे बाद एवं रात्रि को भोजन से 1 घण्टा पहले अथवा चिकित्सक के परामर्शानुसार प्रयोग करें।
परहेज- हरी मिर्च, लाल मिर्च, पपीता, मौसमी एवं तली हुई वस्तुओं का प्रयोग कम करें।
यह विशुद्ध जड़ी-बूटियों द्वारा निर्मित आयुर्वेदिक औषधि है इसे लम्बे समय तक प्रयोग करने से कोई हानि नहीं है।
पैंकिंग :
- 60 ग्राम, 120 ग्राम