मधुमेहामृत (पाउडर)
प्रोडक्ट्स के बारे में
मधुमेह में अन्याशय (Pancreas) में अपेक्षित मात्रा में इन्सुलिन न बनने के कारण रक्त एवं पेशाब में शुगर की मात्रा अधिक हो जाती है। मधुमेह के कारण शरीर में कई प्रकार के लक्षण दिखाई देने लगते हैं, जैसे- बार-बार पेशाब आना, अधिक भूख लगना, थकावट, चेहरा निस्तेज, फोड़ा-फुन्सी का जल्दी ठीक न होना, त्वचा सूखी एवं खुजली, आलस्य, प्यास अधिक लगना, वजन घटना, पैरों में सुन्नता एवं झनझनाहट होना, शारीरिक क्षीणता, कब्जियत इत्यादि।
मधुमेहामृत विशुद्ध जड़ी-बूटियों द्वारा निर्मित औषधि है। इसमें किसी प्रकार की धातु की भस्म, पारद योग इत्यादि मिले हुए नहीं हैं। इसलिए यह पूर्ण रूप से सुरक्षित एवं हर्बल औषधि है।
कई वर्षों के गहन अनुसंधान एवं प्रयोगों के उपरान्त विकसित मधुमेहामृत स्त्री एवं पुरूषों के लिए समान रूप से, कठिन व पुरानी से पुरानी डायबिटीज को नियन्त्रित व ठीक करने में अत्यन्त लाभकारी है।
प्रयोग विधि- मधुमेहामृत की एक-एक चम्मच पूरा भरकर (लगभग 3 ग्राम से 5 ग्राम) सुबह-शाम पानी से ले। सुबह खाली पेट तथा शाम के भोजन से एक घन्टा पूर्व लेना उत्तम है।
सेवन विधि:
मधुमेहामृत की एक-एक चम्मच पूरा भरकर (लगभग 3 ग्राम से 5 ग्राम) सुबह-शाम पानी से ले। सुबह खाली पेट तथा शाम के भोजन से एक घन्टा पूर्व लेना उत्तम है।
अत्याधिक डायबिटीज की अवस्था, इन्सुलिन या अधिक मात्रा में दवाईयाँ प्रयोग करने वाले, दिन में तीन बार, सुबह-दोपहर-शाम प्रयोग करे।
हर सप्ताह खून की जाँच कराते रहें और धीरे-धीरे जैसे लाभ होता जाए, इन्सुलिन व दवा की मात्रा कम करते जायें और मधुमेहामृत की मात्रा तब तक कम न करें जब तक इन्सुलिन व दवा की आवश्यकता समाप्त ना हो। अन्य दवाओं की आवश्यकता न रहने पर दिन में दो बार, कुछ दिनों के बाद दिन में एक बार प्रयोग करें। इसके बाद यदि उचित समझें तो मधुमेहामृत का प्रयोग भी बन्द कर दे अथवा चिकित्सक के परामर्शानुसार प्रयोग करें।
पैंकिंग :
- 80 ग्राम, एक डिब्बे में 21 खुराक है